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Shivraj Anand

FreeWriting

यहां उनका भी दिल जोड़ दो

जिनके दिल टूटे हैं चलते कदम थमे हैं, वो जीना जानते हैं । ना जख्मों को सीना जानते हैं ।। प्यारे तुम उन्हें भी अपना लो मेरी बात मान विश्व बंधुत्व का भाव लेकर, जन- जन से बैर भाव छोड दो । "यहा उनका भी दिल जोड़ दो"।। हम सब के ओ प्यारे, किस कदर हैं दूर किनारे जीत की भी आस रखते हैं वे मन मारे ? ये मन मैले नहीं निर्मल हैं, सबल न सही निर्बल हैं, समझते हैं हम जिन्हें नीचे हैं, वे कदम दो कदम ही पीछे हैं, जो हिला दे उन्हें ऐसी आंधी का रुख मोड़ दो । यहाँ उनका भी दिल जोड़ दो ।। दिल बिना क्या यह महफ़िल है, क्या

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