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Kavi vishal brahmbhatt

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चेतक और प्रताप

*मेवाड़धीराज एकलिंग दीवान महाराणा प्रताप पर कविताए एव मुक्तक __END_OF_PART__IMG_20221125_22291214_gallery.jpg__END_OF_PART__ 1. चाहते तो हम भी लिख सकते थे, महबूब के ज़ुल्फो की छावं को... पर परे हटकर हम उन ज़ुल्फो से, लिखते है राणा सांगा के घाव को..... 2. फिर से अस्सी घावों वाली छाती मांगती है माँ, बातों और समझौतों की नही,तलवारों वाली नीति मांगती है माँ... इन ग़द्दारों को सरेआम फाँसी दो चौराहों पर,, या फिर रक्तरंजित हल्दी वाली घाटी मांगती है माँ..... 3. मन मे महाराणा प्रताप,सीने पर पहचान लिए फिरते ह

चेतक और प्रताप
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