प्रेम -जगत
प्रेम-जगत १ प्रेम जगत संसार का रंगमंच है और हम सभी इस रंगमंच के पात्र।) विज्ञो का मत है की आदि मानव ने प्रेम की आदिम आग की उष्णता से सृस्टि की रचना की 'आदम और हौवा या ,मनु और शतरूपा ने बाव संवेदन धड़कते प्रेम भावना के लिए स्वर्ग के संवेदन हित आनदं रस को नही अपितु जगत के कठोर जीवन को अपनाया | ओ- ढोलमारो , लैला मजनू , रोमिओ -जुलियर ,हीर -राँझा , की प्रेम कथाये तो यही रेखांकित करती है की प्रेम ही जीवन का सार है, प्रेम विहीन जगत वीरान है| इसी प्रेम के वशीभूत (जगत बनाने वाले ) माता (प्रकृति) व प