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baskadia

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Anu -the mad girl

FreeWriting

बचपन

बचपन आज तक भी अकेली ही थी मगर अधूरी न थी तुझसे दुर तो बहुत थी मगर हम में इतनी दूरी न थी क्या बदला कैसे बदला नहीं समझ आ रहा और न ही ये मैच्योरिटी की बड़ी बड़ी बाते समझना चाहती हूं आज मैं सिर्फ और सिर्फ अपने बचपन को फिर से जीना चाहती हूं ऐसा लग रहा आज तक मैं छोटी बच्ची थी और एक पल में ही बडी हो गई और सब बदल गया पोस्ट आफिस से निकले बड़े बड़े लिफाफों में मेरे बचपन का लिफाफा न जाने कहां खो गया इस मैच्योरिटी के ड्रामे से दूर हटकर फिर छोटी बच्ची बन जाना चाहती हूं आज मैं सिर्फ और सिर्फ अपने बचपन को फिर

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