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RAVI MISHRA

FreeWriting

प्यार ज़िन्दगी है

क्या खूब था वो वक़्त भी,जब साथ थी तू हर जगह। मैं सोता था जब रात को सपने में तू रहती सदा।। जब चाय की प्याली लिए, सुबह में तू मिलती मुझे। मैं सोचता क्या बोल दूं, जिससे हंसी आए तुझे।। पर जब कभी,जल्दी ही मैं,सुबह में उठ जाता अगर। तू आए कब,कब दीद हो,कहती थी ये मुझसे नजर।। इक पलको भी,पलकों से जब,ओझल थी होती तू कभी। दिल हंसता था,कुछ कहती थी,मुझसे ये मेरी खामोशी।। इन जादुई नज़रों से थी, जब यूं मुझे तू देखती। घायल था होता दिल मगर, मरहम थी तेरी दिल्लगी।। क्या गुज़रा है,क्या गुजरेगा,अब अपनी दुनिया में यहां

प्यार ज़िन्दगी है
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