Humanity first or not?


Kunwar Aasim Khan2023/04/21 16:53
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Humanity first or not?

भारत देश सबसे आजाद हुआ है तब से लेकर अब तक कई सारे भारत ने बदलाव किए हैं और खुद को प्रगति के पथ पर इतने आगे लेकर पहुंच गया है कि बाकी देश भारत को देखकर ऐसा महसूस करते हैं कि आने वाले समय में भारत एक मजबूत ताकत और शक्ति के रूप में ऊभरेगा लेकिन हम लोग भारत को एक तरफा नजरिए से देखें तो इसमें हमें खुशी मिलती है लेकिन भारत के दूसरे पहलू को देखा जाए तो यह अत्यंत निराशाजनक और आने वाली एक ऐसी समस्या शायद बनने वाली है जो भारत को बर्बाद भी कर सकती है।

कहते हैं कि जब जब किसी देश ने तरक्की की है तो उसके ही आंतरिक पहलुओं ने और दृष्टिकोण ने उसको आगे बढ़ने से हमेशा रोका है और उसके मार्ग में अवरोध पैदा करते हुए उसकी प्रगति पर धब्बा लगाया है, कोई भी देश तभी तरक्की कर सकता है जब उसके प्रत्येक पहलू पर कड़ी नजर रखी जाए और कड़ी सुरक्षा करते हुए उसके हर एक पहलू को कुछ इस तरह निखारा जाए जैसे कोई मूर्तिकार एक मूर्ति को तरासता है।

भारत वैसे तो खुद में एक बेहतरीन देश है लेकिन भारत के जो आंतरिक अवयव हैं वह भारत को धीरे-धीरे खोखला कर रहे हैं क्योंकि कहा जाता है कि जहां पर इंसानियत से ज्यादा धर्म जात पात भेदभाव और राजनीतिक गतिविधियां इंसानों के दिमाग में घर कर जाती हैं तो वह देश हो या फिर आदमी या फिर कोई परिवार हो धीरे-धीरे टूटने और बिखरने लगता है, अगर देखा जाए तो भारत की स्थिति बिल्कुल ऐसे ही बनी हुई है जहां पर इंसानियत से ज्यादा लोग धर्म को तवज्जो देते हैं लोग चाहते हैं कि उनका धर्म सर्वोपरि रहे चाहे उनके बच्चे भूखे मर जाएं या फिर सामने वाले का सर कट जाए लेकिन ऐसी खतरनाक समय में भी कोई ना कोई ऐसी समस्या भी कभी-कभी हमारे सामने आ जाती है जिसको निगला नहीं जा सकता और अगर हम निगल भी जाए तो यह अंदर जाने के बाद एक भयंकर बीमारी के रूप में फिर से जीवित हो जाती है।


प्रत्येक नागरिक को यह समझना चाहिए कि इंसानियत कभी भी धर्म से ऊपर नहीं हो सकता और अगर हो भी जाए तो इंसानियत के ही गुण उसमे ज्यादा नजर आएंगे, अगर किसी व्यक्ति को भूख लगती है तो वह कभी भी यह नहीं देखता कि मैं इस धर्म से हूं और मैं यह चीज नहीं खा सकता या फिर इस व्यक्ति से मैं यह सामान लेकर नहीं जा सकता क्योंकि जब भूख लगती है तो लोग धर्म को भूल जाते हैं और इंसानियत को सामने रखकर हर वह चीज को स्वीकार करते हैं जो उनकी शारीरिक जरूरत को पूरा करती है और जब शारीरिक जरूरत हो पूरी हो जाती है तो लोग मानसिक दबाव में आकर फिर से वही रास्ते को अपनाना पसंद करते हैं जो वह लोगो को पीछे छोड़ना चाहिए था। तो बात सिर्फ इतनी सी है कि अगर आप अपने देश में अखंडता लाना चाहते हो तो आपको उन सभी बुरे अवयवों का त्याग करना पड़ेगा जो आप खुद पसंद नहीं करते कि अगर दूसरा व्यक्ति आपसे तरीके से व्यवहार करता है इसीलिए अगर आपको अपने देश को एक बेहतर देश बनाना है तो आपको इन सभी बुरे अवयवों को छोड़कर अपने देश को बेहतरीन बनाने के लिए लड़ना होगा और लड़ाई ऐसी हो जिसमें अलग-अलग समुदाय एक होकर अखंडता की दुआ करें। कहते हैं कि हर चीज हर किसी के लिए नहीं बनी और जिसको जो चीज सौंपी गई है वह चीज उसके पास ही रहनी चाहिए और वह चीज या फिर वह काम उस व्यक्ति को ही करना चाहिए ताकि वह काम अच्छी तरह से हो और अच्छी तरह से होने के बाद एक सही समय पर उसको स्वीकार भी किया जाए

इसीलिए अगर कोई राजनीति में है तो उसको चाहिए कि वह राजनीति से जुड़े सभी कार्य को कुशलता पूर्वक और ईमानदारी से करता जाए और इसी के साथ-साथ धर्म के ठेकेदारों को चाहिए कि वह अपने धर्म को शांति और सुख के साथ फैलाएं ताकि दूसरे व्यक्तित को नुकसान न हो क्योंकि प्रत्येक धर्म में यह बात कही गई है कि आपके द्वारा अगर किसी व्यक्ति को ठेस या नुकसान पहुंचता है तो आपके द्वारा काम जो किया गया है यानी कि आपके द्वारा जो कार्य किया गया है वह बेकार है इसी के साथ-साथ अगर आप एक कर्मचारी हैं या फिर आप कोई काम करते हैं तो आपको चाहिए कि आप उस काम में ज्यादा ध्यान लगाएं ताकि वह काम अच्छी तरह से हो और आप देश की प्रगति में स्वागत मोटी मोटी सी है कि आपको अगर अपने देश को मजबूत बनाना है तो हमेशा अपने देश की भलाई के बारे में सोचिए।

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