जातिवाद पर एक छोटी सी कहानी,
पढ़ने के बाद आप की जातिवाद करें या न करें।
कहानी को शुरू करने से पहले में आपको अपना परिचय देना चाहता हूं।
मेरा नाम हैं अर्जुन शर्मा और में एक लेखक हूं जो आपके सामने आज कोई न कोई कहानी लाता हूं
मेरी Google पर बहुत सी कहानियाँ प्रकाशित होती हैं। उन्हें निश्चित रूप से पढ़ें।
मकड़ियों का जाल:- pandit4517_
कहानी को शुरू करने से पहले आपसे तीन सवाल पूछेंगे
1 हमें कौन सी जातिवाद करना चाहिए?
2 संविधान में जातिवाद से क्या संबंध है ?
हमें संविधान द्वारा यह बताया गया है कि व्यक्ति को जातिवाद नहीं करना चाहिए तथा समानता लानी चाहिए, समान व्यवहार करना चाहिए।
एक बात ध्यान से पढ़ें का सबसे ज्यादा जोर था जातिवाद सरकार पर डालें ,
कैसे ? मैं आपको शामिल करता हूं क्योंकि सभी वर्ग सामान्य, ओबीसी, एससी, एसटी यह सभी जाति के समान वर्ग हैं, ये सभी नीचे के माध्यम से दिए गए हैं।
इसका मतलब क्या हुआ?
इसका मतलब यह हुआ कि सरकार कहती है कि जातिवाद मत करो, अगर जातिवाद करोगे तो यह धारा आप पर लागू होगी।
यह नहीं पता कि सबसे ज्यादा जातिवाद हम खुद करते हैं।
अगर यही बातें आगे जाती हैं तो यह कहते हैं कि तो यह कहते हैं कि इसे प्राप्त किया जाता है जो समानता लाने के लिए विवरण दे रहे हैं।
तो आप ठीक हैं कि आप ये भाई बराबर ला रहे हैं लेकिन इन पर गौर करें कि यह जातिवाद के नाम पर समानता से ऊपर जा रहे हैं
पर यह ठीक है कि आप कुछ स्थिति में समानता ला सकते हैं पर हर जगह भेदभाव आप कह रहे हैं कि भेदभाव नहीं है तो कोई भी विवरण जानने से पहले आय क्यों दृष्टिकोण, जाति के बजाय अमीरी गरीबी का कारण नहीं है। ।