मां की महिमा


Shivraj Anand2023/02/05 09:18
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माँ ! हम आये तेरे शरण में ,नित छुएं चरण, मम निवेदन स्वीकार करो !

यही है भाव भजन, मन लगी लगन, मम-जीवन निर्माण करो !




हम सब बाल  पौधे माँ ! तू मा

मालिन साथ है |

तू जननी !हम लाल ,

सब तेरे हाथ हैं ||

जग सृजनी !  दे तूं जैसी आकृत,

सब तेरा प्रत्युपकार हैं |

 हम सब कच्ची मिटटी,

 तू सबका कुम्भकार है ||

तू भू की रानी!  ,तू अम्बर की न्यारी माँ |

तुझमे बसी दुनिया सारी।

  तुझमे तरी दुनिया सारी माँ ।।

हे स्नेहमयी माँ  ! 

तेरी गोद में हमने सोया |

तेरी आचंल में हमने खाया !

तेरी आँचल में हमने खेला !

तुझ संग मिलकर हमने रोया !

 तूने हमे कहा - आँखों का तारा !

हमने तुझे कहा – ध्रुव का तारा !!

' राम-कृष्ण, भीष्म –युधिष्ठिर तूने बनाया ||

सच है की कर्ण – अर्जुन, बुध्द-महावीर तूने ही बनाया |

तेरी महिमा अपार माँ ! तेरी महिमा अपार

हे नित्य माता ! तूने ही शंकर – रामानुजन, गाँधी – मालवीय

सबको हिय का अमीरस पिलाया ||

तेरी महिमा अपार माँ ! तेरी महिमा अपार........

हे माँ ! हमे भी शरण दो, मन की कुबुद्धि हर दो |

हे वर दायिनी वर दो , जीवन धीर – वीर कर दो |

माँ ! मेरे जीवन की बगिया, नित्य खिलती रहे |

तुझ से बनी सांसों की डोरियाँ चलती रहें ||

माँ ! तू बस इतना करम कर दो |

निज वत्स का इतना धरम कर दो ||

हमे झुकाएं शीश, तूं हमें शुभाशीष दे दो ||

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