घर


Akash2023/01/26 14:52
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घर

घर

तू मेरे पास क्यू नहीं है

बचपन का तो याद ही नहीं

याद बस है की

सुबह स्कूल और शाम को

किताबे बस यही

गाँव तो देखा ही नही

तब की बाते जायज थी

हा तब समझ भी तो काम था

पर अब

जैसे सांसे मेरे पास ही नहीं है

घर

तू मेरे पास क्यू नहीं है

पैर हमारे मजबूत हुये तो

जिम्मेदारी और समय ने

आगे पढ़ने को बाहर कर दिया

मानो कैसे देश निकाला ही कर दिया

फिर वो भी ठीक था

कमस काम करीब थे

हफ्ते महीने मे घूम आते थे

वो रहे भी पीठ थपथपाती थी

जब हम घर को

सब साथ निकलते थे

सब कहते है

वासुद्धव कुटुंबक्म

पर ये कोई समझता क्यू नहीं है

घर

तू मेरे पास क्यू नहीं है

अब तो

जाने से पहले

लौटने की तारीख

बड़े बड़े अक्षरो मे

टेप दिए जाते है

उन्हें कोई क्यू नहीं कहता

की काम से काम चैन से

घर हो आने देते

ये जल्दबाजी क्यू

खैर बस यही कहना है घर

हमारे बिच ये दूरिया ही क्यू है

घर

तू मेरे पास क्यू नहीं है।

#अनकहे_आकाश

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