मेरा पुनर्जन्म


सच्ची घटना पर आधारित  ~पुनर्जन्म- एक हादसा~ जिंदगी इतनी विचित्र है कि कब किस मोड़ पर ले जाए कहा नहीं जा सकता। इस जिंदगी में किसके साथ क्या हादसा हो जाए पता नहीं। लेकिन ये भी सच है कि उपरवाले की मर्जी के बिना ना तो कोई जन्म ले सकता है नामर सकता है। विधि के विधान में जितनी सांसे लिख दी गई है उसको ना कोई कम कर सकता है ना कोई बडा सकता है।  इसलिए ही तो कहा गया है "जा को राखे सांईयां मार सके ना कोय, बाल ना बांका कर सके जो जग बैरी होय"। इस कहावत को कई बार सही साबित होेते देखा व सुना गया है। मेरे जीवन में भी कई छोटी मोटी घटनाएँ व हादसे होते होते रह गए और कभी कभार हुए भी हैं। ऐसा ही एक किस्सा है जो मेरे स्कूली जीवन में घटित हुआ था जिसमें मुझे जीवन दान मिला था। इसलिए मैंने इसे "पुनर्जन्म- एक हादसा" नाम दिया है। साथियों मेरा यह नोवेल भी इस सच्ची घटना पर आधारित है जिसका नाम है "पुनर्जन्म- एक हादसा"। मैं एक गांव में रहता हूँ। मेरा बचपन, जवानी इसी गांव की गलियों में खेलते कूदते गुजरा है। आज से करीब तीन चार दशक पूर्व की बात करु तो आज की तरह ना पक्की सड़कें थी, ना आवागमन के साधन व सं

वो दिन मेरी जिंदगी का पुनर्जन्म वाला दिन था।

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