जिनका शोणित धधक उठा
तो सत्तावन संग्राम उठा
अमर सिंहनी झपट पड़ीं वो
मुक्ति युद्ध अभिराम उठा
उर में उनके जागीं काली,
वीरभद्र विकराल उठे
बजरंगी बलवान हो गए
महाराज महकाल उठे
गौरव का अध्याय लिखा था
जन्मी अमर कहानी ने
अरि-दल नष्ट-भ्रष्ट कर डाला
उन लक्ष्मी मर्दानी ने
माँ ने निज भुज-बल के बल पर
मुक्ति का आह्वान किया
शस्त्रों से श्रृंगार कर लिया
प्राणों का बलिदान किया
साक्षी है रणक्षेत्र अभी तक
लक्ष्मी की तलवारों का
चपला सी उस चपल शक्ति का
उनके भीषण वारों का
माता फ़िर अवतार धार कर
भारत का उपकार करो
हर बाला में शक्ति भरो तुम
ऊर्जा का संचार करो
शून्य पड़ा रणक्षेत्र अभी है
आ कर के अधिकार करो
हे माता इस आतुर सुत की
शब्दांजलि स्वीकार करो
©Suryam Mishra