मेरे घर से दफ्तर के रास्ते में
तुम्हारी नाम की एक दुकान पढ़ती हैं
विडंबना देखो,
वहां दवाइयां मिला करती है।
यूं तो भूले हैं हमें लोग कई, पहले भी बहुत से
पर तुम जितना कोई उन्मे सें , कभी याद नहीं आया।
कामयाबी तेरे लिए हमने खुद को कुछ यूं तैयार कर लिया,
मैंने हर जज़्बात बाजार में रख कर एश्तेहार कर लिया ।
लूट रहे थे खजाने मां बाप की छाव मे,
हम कुड़ियों के खातिर, घर छोड़ के आ गए।
मेरी जमीन तुमसे गहरी रही है,
वक़्त आने दो, आसमान भी तुमसे ऊंचा रहेगाज़मीन पर आ गिरे जब आसमां से ख़्वाब मेरे
ज़मीन ने पूछा क्या बनने की कोशिश कर रहे थे।
हर एक दस्तूर से बेवफाई मैंने शिद्दत से हैं निभाई
रास्ते भी खुद हैं ढूंढे और मंजिल भी खुद बनाई।
मेरी अपनी और उसकी आरज़ू में फर्क ये था
मुझे बस वो...
और उसे सारा जमाना चाहिए था।
मेरे इश्क़ से मिली है तेरे हुस्न को ये शोहरत,
तेरा ज़िक्र ही कहां था , मेरी दास्तान से पहले।
बे वजह बेवफाओं को याद किया है,
ग़लत लोगों पे बहुत वक़्त बर्बाद किया है।