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Shivraj Anand

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जीवन की सोच

(हमें बाधाएं और कठिनाइयां कभी रोकती नहीं है अपितु मजबूत बनाती हैं) लफ़्ज़ों से कैसे कहूं कि मेरे जीवन की सोच क्या थीं? आखिर  मैने भी सोचा था कि पुलिस बनूंगा, डाॅ बनूंगा किसी की सहायता करके ऊॅचा नाम कमाऊंगा पर नाम कमाने की दूर... जिन्दगी ऐसे लडखङा गई  जैसे  शीशे  का  टुकङा  गिर  पड़ा  हो  फर्क  इतना  सा  हो  गया   जितना  सा  जीव  - व  निर्जीव   मे  होता  है । मै  क्युं  निष्फल  हुआ ? हाॅ मैं जिस कार्य को करता था  उसमें  सफल होने  की आशा नही करता  था मेहनत  लग्न से जी -चुराता था इसलिए  मेरे  सोच प

जीवन की सोच
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