स्वर कोकिला लता जी
कहीं नहीं गयी वो पास ही तो हैं
फरिश्तों का जन्मभर एहसास ही तो हैं
शोक में जिनके तिरंगा भी झुका हो
हस्ती छोटी नहीं बहुत ख़ास भी तो हैं
आवाज़ जिनकी गूंजती रहेंगी पहचान बनकर
स्वर कोकिला लता जी से ही संगीत का आगाज भी तो हैं
कहीं नहीं गई वो....
ओम शांति