
धर्म के देवता व काल के स्वामी यमराज अपने न्याय गद्दी पर आसीन थे। और चित्रगुप्त के साथ आत्मा के पाप – पुण्य का लेख जोखा देख रहे थे। ये वो भारतीय आत्माएं थी जो असमंजस था। कि उन्हें स्वर्ग या नरक में भेज दिया। इसी तरह पक्का किया गया था। यमराज जी व चित्रगुप्त ने इससे अलग समय निकाल दिया।
चित्रगुप्त जी – प्रभु यह राजू छिलके की आत्मा है। राजू चिलका ने काफी लड़कियों को छेड़ा है। कहीं लड़कियों की क्लास में अहम समय भी मदद की थी। प्रभु आप ही वर्णन करते हैं कि स्वर्ग में फेंके या नरक में प्रकट होते हैं।
यमराज जी - मामला प्रत्यक्ष रूप से काफी गंभीर चित्रगुप्त है। मि. राजू छिलका आपको शामिल है कि क्या इच्छा है। स्वर्ग गोगे या नर्क। (यमराज जी ने राजू छिलके से पुछा)
राजू छिलका - प्रभु कहीं भी खाता दो - बस जहां भी खाता आपके अच्छा हो।
चित्रगुप्त – आइटम बोले तो विवरण, महाराज यमराज आकस्मिक नहीं।
राजू छिलका – कहने का मतलब सुन्दर कन्यायें जा हो प्रभु। आने वाले दिन आइटम डांस देखने को मिले। अपने लिए तो वह स्वर्ग से भी बड़ा है।
कहानी है _
चित्रगुप्त – घोर पापी प्रभु
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