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गीता हिंदुओं का पवित्र ग्रंथ है, विषम भगवान श्री कृष्ण के मुखारविंद से उत्पन्न हुई है, गीता में कर्म के सिद्धांत को महत्व दिया गया, उद्यमेन हि सिध्यंति कार्याणि ना मनोरथै नहीं सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृर्गा । भावार्थ कार्य परिश्रम से पूर्ण होते हैं बल्कि मन में इच्छा करने से नहीं जैसे सोते हुए सिंह के मुंह में हिरण प्रवेश नहीं कर सकता है भारत सनातन धर्म का पवित्र ग्रंथ गीता में कर्म को महत्व दिया गया है, करणी पूजने योग्य है कमी सेवा है कर्म ही धर्म है

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यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत अभ्युथानम्यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत अभ्युथानम् अधर्मस्य तदात्मानं जय श्री राधेकृष्ण

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