भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की पृष्ठभूमि
第2話 - भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की प्रकृति
विश्व के अन्य राष्ट्रीय आंदोलनों से भिन्न भारतीय राष्ट्रीय
Aandolan ke Kati per niji visheshta hai jiska ullekh yahan Kiya ja raha hai
1. लंबी अवधि :_ भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का इतिहास काफी लंबा है इसका उदय 18 वीं सदी के मध्य से माना जाता है 18 से 50 ईसवी में कांग्रेस की स्थापना के साथ भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का स्पष्ट रूप सामने आया इसका अंत 15 अगस्त 1947 को हुआ इस प्रकार या लगभग एक 100 वर्षों तक भारत का राजनीतिक इतिहास प्रस्तुत करता है इसकी तुलना में अमेरिका तथा आई रे स्वतंत्रता संग्राम कुछ ही वर्षों तक चला!
2. शांतिपूर्ण तथा क्रांतिकारी
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में मुख्यता शांतिपूर्ण तरीकों को अपनाया गया महात्मा गांधी ने इसका नेतृत्व किया उनका मूल सिद्धांत था सत्य और अहिंसा तथा हथियार या सत्याग्रह।
सत्याग्रह सविनय अवज्ञा आंदोलन तथा अन्य शांतिपूर्ण तरीकों का प्रयोग कर उन्होंने आजादी हासिल की लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि भारतीयों ने छिटपुट रूप में उग्रवादी तथा क्रांतिकारी तरीकों का प्रयोग नहीं किया खून खराबी तोड़फोड़ बम विस्फोट तथा हथियारबंद लड़ाई का भी सहारा कभी-कभी लिया गया लेकिन स्वतंत्रता संग्राम की यह लड़ाई मुख्यता शांतिपूर्ण ही रही यहां तक कि 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों ने शांतिपूर्ण तरीके से सत्ता का स्थानांतरण किया।
3. संवैधानिक विकास
भारत में राष्ट्रीय आंदोलन का इतिहास संवैधानिक विकास के इतिहास से जुड़ा है भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के अंतर्गत अट्ठारह सौ सत्तावन ईसवी का गदर प्रथम मध्य पूर्ण घटना है जिसके परिणाम स्वरूप ब्रिटिश साम्राज्य ने भारतीय उपनिवेश के शासन कार्य को स्वयं संभाल लिया शुरू में राष्ट्रीय आंदोलन का उद्देश्य शासन कार्य में भारतीयों द्वारा स्थान प्राप्त करना था अंततः उन्हें संतुष्ट करने के लिए ब्रिटिश सरकार ने कई भारतीय अधिनियम का निर्माण किया जैसे 18 से 18 18 से 1 ईसवी क भारतीय परिषद अधिनियम कर्मचारियों द्वारा शासन के उत्तरदायित्व पूर्ण भाग लेने की तथा स्वतंत्रता प्राप्ति की मांग बढ़ती गई इसके परिणाम स्वरूप 1919 तथा 1935 ईस्वी के भारत सरकार अधिनियम का निर्माण हुआ इस यादें अधिनियम उन्हें भारत में उत्तरदाई संसदीय तथा राजनीतिक शासन की नींव को रस बना दिया अंततः 42 ईसवी के भारत छोड़ो आंदोलन तथा 1942 से 45 ईसवी के आंदोलन ने स्वतंत्रता की प्राप्ति कराय जिसके परिणाम स्वरुप वर्तमान भारत में एक पूर्ण प्रजातांत्रिक संविधान की स्थापना संभव हो सकी।