बचपन
आज तक भी अकेली ही थी मगर अधूरी न थी
तुझसे दुर तो बहुत थी मगर हम में इतनी दूरी न थी
क्या बदला कैसे बदला नहीं समझ आ रहा
और न ही ये मैच्योरिटी की बड़ी बड़ी बाते समझना चाहती हूं
आज मैं सिर्फ और सिर्फ अपने बचपन को फिर से जीना चाहती हूं
ऐसा लग रहा आज तक मैं छोटी बच्ची थी
और एक पल में ही बडी हो गई और सब बदल गया
पोस्ट आफिस से निकले बड़े बड़े लिफाफों में
मेरे बचपन का लिफाफा न जाने कहां खो गया
इस मैच्योरिटी के ड्रामे से दूर हटकर फिर छोटी बच्ची बन जाना चाहती हूं
आज मैं सिर्फ और सिर्फ अपने बचपन को फिर से जीना चाहती हूं
्
अनामिका साहू
गोण्डा उ.प.
Anu -the mad girlさんをフォローして最新の投稿をチェックしよう!
0 件のコメント
この投稿にコメントしよう!
この投稿にはまだコメントがありません。
ぜひあなたの声を聞かせてください。