
कितने खौफ़नाक मंज़र हैं यहां तबाही के
घुटने टूटे सुपरशक्ति की तानाशाही के
कितने खौफ़नाक मंज़र हैं यहां तबाही के.
फंसी हुई दुनिया कैसे
अपने ही पांसों में
एक वायरस टहल रहा
आदम की सांसों में
अवरोधक लग गए
पांव में आवाजाही के.
कितने खौफ़नाक मंज़र हैं यहां तबाही के.
सुनते हैं यमराज कहां
कब कोई भी बिनती
रोज यहां गिरती लाशों की
कौन करे गिनती
दिखते हैं ताबूत अनगिनत
यहां उगाही के
कितने खौफ़नाक मंज़र हैं यहां तबाही के.
कहां गया ईश्वर बहुव्यापी
जग का विषपायी
एक वायरस ने दुनिया को
किया धराशायी
कुछ दिन में तो लोग मिलेंगे
नहीं गवाही के.
कितने खौफ़नाक मंज़र हैं यहां तबाही के.
वल्गाएं थम गयीं
प्रगति की संध्या वेला है
यह दुनिया लगती जैसे
दो दिन का मेला है
कहां गए वे दिन
पहले-से सरितप्रवाही के.
कितने खौफ़नाक मंज़र हैं यहां तबाही के.
रेलें ठप, ठप हुई
हवाई सारी यात्राएं
घर में कैद सुनाएं
कैसे अपनी पीड़ाएं
तेल कान में डाल
सो रही नौकरशाही के.
कितने खौफ़नाक मंज़र हैं यहां तबाही के.
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